किसी के मृत्यु के बाद लोग श्राद्ध, भोज, संपिन्दन, बरसी न जाने कितने कर्म-काण्ड करते हैं. कहते हैं कि ये कर्म-काण्ड करने के बाद ही मृत आत्मा को शान्ति मिलती है. कभी-कभी कितने लोग खुद स्वाभाविक रूप से नहीं मरते हैं बल्कि उनका सही ढंग से देख-रेख या ईलाज न हो पाने के कारण ही उनकी मृत्यु होती है. कभी-कभी कितने लोग खुद अपने ही घर के किसी सदस्य द्वारा प्रताड़ित होकर या किसी भी तरह घर के सदस्य द्वारा ही मारे जाते हैं. सोचें कि क्या इस स्थिति में भी कर्म-काण्ड करने के बाद उनकी आत्मा को शान्ति मिल जायेगी? ऐसी स्थिति में तो जब वे जीवित रहते है उस स्थिति में तो घर के लोग जान-बुझकर उन्हें कष्ट देते हैं व मरते हुए छोड़ देते हैं. क्या इस स्थिति में भी घर के लोग द्वारा कर्म-काण्ड करने से उनके आत्मा को शान्ति मिल जायेगी?
यह कोई कोड़ी बहस नहीं है बल्कि सोचनीय मुद्दा है. आप भी इस पर सोचें व अपना विचार दें. इसी प्रकार की एक घटना का वर्णन मैं यहाँ किया हूँ, आप भी इसे जानें व उसपर अपना विचार अवश्य दें. लिंक ये है: कातिल कौन? http://apnee-baat.blogspot.com/2010/05/blog-post.html