जैसा चश्मा पहनोगे वैसी ही दुनियाँ दिखेगी और जैसी दुनियाँ दिखेगी उसी अनुसार तुम कार्य करोगे। और जैसा तुम करोगे उसी अनुसार कार्य का परिणाम होगा। अतः जरुरत है उचित चश्मा पहनने की, जो सही हो वह चश्मा पहनने की। यदि आप गलत चश्मा पहनते हैं तो आपको दुनियाँ भी गलत दिखेगी। और आपको दुनियाँ गलत दिखेगी तो उसी अनुसार आप कार्य करेंगे और इस प्रकार आपके गलत कार्य का परिणाम भी गलत ही होगा। और इस प्रकार उस गलत कार्य के परिणाम स्वरुप एक महान विस्फोट (की तरह) भी संभव है। अतः हमेशा सही चश्मा का ही व्यवहार करें। और सही चश्मा के लिए सच्चाई, ईमानदारी व निष्पक्षता की चश्मा की जरुरत तो है ही।
--- महेश कुमार वर्मा
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LS-52 / 04101001
2 comments:
आत्मचिंतन के लिये प्रेरित करने के लिये आभार!!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- हिन्दी चिट्ठाकारी अपने शैशवावस्था में है. आईये इसे आगे बढाने के लिये कुछ करें. आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
बहुत सुंदर बात कही है आपने. सच मैं हम सबको अपनी सोच को सुधरने की जरुरत है. एक अच्छे संदेश के लिए आभार. सस्नेह.
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