Tuesday, March 25, 2008

वह बकरा ने आपको क्या किया था?

वह बकरा ने आपको क्या किया था?

कौन सा बकरा?

क्या आपको याद नही?
वही बकरा जिसे मारकर आपने अपना पेट भरा।

हाँ-हाँ याद आया, पर हुआ क्या?

हुआ यही कि होली तो प्रेम का पर्व था पर तुमने क्या किया? क्या तुमने उस बकरे के साथ प्रेम किया? बकरे के साथ तो तुम्हारा कोई प्रेम भाव नहीं था। तुम उस बेकसूर बकरे को मारकर अपना पेट भरा। ................ क्या तुम्हारी होली का पर्व तुम्हें हिंसा सिखाती है?

नहीं, ऐसा तो नहीं सिखाती। होली तो प्रेम का पर्व है।

तब फिर यह हिंसा क्यों? क्या तुम्हें यह उचित लगता है?

नहीं, उचित तो नहीं लगता है?

तब फिर इस प्रेम के पर्व होली में कितने बेकसूर बकरों व मुर्गों इत्यादि जीवों की बलि दी गयी, इसके लिए जिम्मेवार कौन है? क्या जिन्होंने माँस खाया वह इन हत्या के लिए जिम्मेवार नहीं है?

हाँ, जिम्मेवार तो वह सौ फीसदी है।

तब फिर इन बेकसूर जीवों की हत्या के विरुद्ध आवाज क्यों नहीं उठायी जानी चाहिए?

जरुर, बेकसूर जीवों के हत्या के विरुद्ध जोर-शोर से आवाज उठायी जानी चाहिए और सभी जीवों को न्याय व संरक्षण देना चाहिए।

तो आईए, आज से ही हम इन बेकसूर जीवों के हत्या के विरुद्ध अपना आन्दोलन प्रारम्भ करते हैं।

पर कैसे?

सर्वप्रथम हमें इस बात पर अमल करना होगा कि हम बेकसूर जीवों की हत्या, मत्स्य-माँस या किसी भी प्रकार का मांसाहार भोजन का सेवन नहीं करेंगे तथा न ही किसी को भी इस प्रकार के भोजन में किसी भी तरह से सहायता करेंगे।

आपने ठीक कहा।

तो आएं हम सब मिलकर मांसाहार व जीव-हत्या के विरुद्ध लड़ाई को जीतें।

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