tag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post7979915120121778158..comments2012-11-06T03:39:21.415+05:30Comments on आत्म-चिंतन: कर्म-काण्ड के बाद क्या मृत आत्मा को शान्ति मिलती है?महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Vermahttp://www.blogger.com/profile/07187456741818075757noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post-65498765567702632012010-07-30T11:40:55.416+05:302010-07-30T11:40:55.416+05:30दिनेशराय जी के विचारों सेपूर्ण सहमति।
…………..
पाँच ...दिनेशराय जी के विचारों सेपूर्ण सहमति।<br />…………..<br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">पाँच मुँह वाले नाग?</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post-24500222134406749582010-06-12T08:27:55.803+05:302010-06-12T08:27:55.803+05:30संगीता जी, विचार देने के लिए धन्यवाद. आज के स्थित...संगीता जी, विचार देने के लिए धन्यवाद. आज के स्थिति पर ही आज के कर्म का विचार करना चाहिए. जब आज कर्मकांड का महत्तव नहीं रह गया तो फिर आज के लिए तो यह बेकार है. <br /><br />आपका<br />महेशमहेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Vermahttps://www.blogger.com/profile/07187456741818075757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post-13421745672311640862010-06-11T21:31:43.733+05:302010-06-11T21:31:43.733+05:30मृत्यु के बाद उसकी शांति की बात दूर .. अपने मन की...मृत्यु के बाद उसकी शांति की बात दूर .. अपने मन की शांति के तो प्रयास होने ही चाहिए थे .. यदि कर्मकांडों की व्यस्तता न हो तो जानेवाले का दुख सह पाना भी एक बडी चुनौती होती थी .. प्राचीन काल में यूं ही कर्मकांड नहीं बनाए गए थे .. सबमें कुछ न कुछ कारण थे .. आज इनका महत्व नहीं रह गया है .. ये अलग बात है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post-56389217567332530662010-06-03T09:03:13.560+05:302010-06-03T09:03:13.560+05:30भाटिया जी,
आपने सही कहा कि "कर्म कांड से अच...भाटिया जी, <br /><br />आपने सही कहा कि "कर्म कांड से अच्छा है जीते जी उन की देख भाल की जाये, मान सम्मान दिया जाये" <br />वास्तव में कर्म-काण्ड से मृत आत्मा को शान्ति नहीं मिलती है बल्कि कर्म-काण्ड से जो लोग जीवित रहते हैं उनकी आत्मा को शान्ति मिलती है. पर ऐसा करना जरुरी नहीं है. ...................... आज कितने लोग तो सिर्फ समाज को दिखने के लिए ऐसा करते हैं. उनका मानना रहता है कि कर्म-काण्ड नहीं करेंगे तो लोग क्या करेंगे. आप मेरे <a href="http://apnee-baat.blogspot.com/2010/05/blog-post.html" rel="nofollow">इस लेख</a> (<a rel="nofollow">http://apnee-baat.blogspot.com/2010/05/blog-post.html</a> ) देखें. जो किशोर जी खुद अपने पिता के कातिल की तरह थे वे खुद कर्म-काण्ड किये सिर्फ समाज को दिखने के लिए. .................. क्या उनके इस कर्म-काण्ड से पिता की आत्मा को शान्ति मिल गयी होगी? <br /><br /><br />आपका <br />महेशमहेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Vermahttps://www.blogger.com/profile/07187456741818075757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post-51042614331670284252010-06-03T01:58:27.466+05:302010-06-03T01:58:27.466+05:30मैने यह सब कर्म कांड किये, दिल से किये जब कि मै जा...मैने यह सब कर्म कांड किये, दिल से किये जब कि मै जानता हुं कि मरने वाले को इस से कुछ नही मिलने वाला.... लेकिन हमे मन की शांति तो मिल जाती है.... फ़िर पता नही ग्रंथो मै लिखी बाते सही हो..... लेकिन कर्म कांड से अच्छा है जीते जी उन की देख भाल की जाये, मान सम्मान दिया जायेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4966353202471344943.post-49121124530061010272010-06-02T09:04:27.543+05:302010-06-02T09:04:27.543+05:30आत्मा शरीर का गुण है, किसी शरीर के समाप्त हो जाने ...आत्मा शरीर का गुण है, किसी शरीर के समाप्त हो जाने के साथ ही समाप्त हो जाती है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com